नशा करेगा एक दिन ,
तन का सत्यानाश ।
साथ नहीं देगा कोई ,
कर ले तू विश्वाश ।
कर ले तू विश्वाश ,
मुश्किल हो जाएगा जीना ।
दारू सिगरेट बीड़ी ,इसको कभी न पीना ।
पिया अगर तो वने ,केंसर टी वी प्यारे ।
बीड़ी से हो श्वास रोग , कहते है सारे ।
कह किंकर फिर श्वास में ,जीना दूभर होय
असमय ही छुट जाए तन , बचा सके न कोय ।
कवि राजेन्द्र अवस्थी किंकर