कागज पर ही रावण और, कागज पर ही राम हैं
कागज पर ही रावण और, कागज पर ही राम हैं।
कागज पर ही रावण और, कागज पर ही राम हैं।
कागज पर सत्य, और झूठ के अपराध हैं,
कागज पर ही लिखा कागज समझना, जिन लोगों की आदत में शुमार हैं।
उन लोगों को पता ही नही, कि आदमी बनता कैसे महान हैं,
कागज समझों तो इसे, फिर एक बार कहीं गिरा देना।
कागज पर लिखे भाव, फिर एक बार भुला देना,
सही कहा हैं किसी ने, और कागजों पर ये कहावत आम हैं।
करना किसी काम को, बारम्बार सफलता का दूसरा नाम हैं,
कारण यही हैं जो, आप हर बार कागजो को बहा देते हैं।
कागज पर लिखे भाव फिर, एक बार लोग भुला देते हैं,
ऐसा तो बहुत पढ़ा हैं, कहकर भावी लेखक को रूला देते हैं,
भावी विचार क्या करें, बददुआओं के कागज पर लिखता आप का ही नाम हैं।
जाने अन जाने में एक बार फिर, अपनी बदकिस्मती को बुला लेते हैं।
कागज को पढ कर झटकते हैं यूं,जैसे इससे उसका क्या काम हैं,
कागज को झटकते है, कहकर इससे हमारा क्या काम हैं।
भूल कर ये बात भी, मान सम्मान मिलता इसी के नाम हैं।